पटना सिटी (न्यूज़ सिटी)। बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी हैं। चुनाव की तैयारियां सभी राजनीतिक पार्टियों ने शुरु कर दी है। इसी बीच स...
पटना सिटी (न्यूज़ सिटी)। बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी हैं। चुनाव की तैयारियां सभी राजनीतिक पार्टियों ने शुरु कर दी है। इसी बीच सभी राजनीतिक पार्टियों ने बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों से पहले चरण के उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है। वही पटना साहिब विधानसभा सीट से एनडीए की ओर से भाजपा के खाते में टिकट दी गयी है। जबकि इसी विधानसभा सीट पर महागठबंधन का दांव-पेच फंसा हुआ है।
मालूम हो कि पटना साहिब से विगत वर्ष 2015 में राजद खेमे से पूर्व प्रत्याशी संतोष मेहता ने अपना भाग्य आजमाया था और कुछ हजार मतों के अंतर से उनकी हार हुई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बार महागठबंधन द्वारा पटना साहिब की सीट को कांग्रेस के खाते दिए जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है।
इससे पटना साहिब के राजद कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों में काफी निराशा का माहौल बन गया है। हालांकि अभी भी पटना साहिब विधानसभा सीट से महागठबंधन की ओर से प्रत्याशियों के नाम नहीं घोषित होने पर पार्टी के कार्यकर्ताओं व लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसके बावजूद राजद खेमे के चार-पांच नेताओं ने पटना साहिब विधानसभा सीट से अपने प्रत्याशी होने की दावेदारी ठोंक दी है।
पटना साहिब विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाने पर यहां के स्थानीय कांग्रेस नेताओं की राजनीतिक गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। बताया जा रहा कि पटना साहिब विधानसभा सीट के लिए मुख्य रूप से प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं महानगर अध्यक्ष रह चुके राजकुमार राजन, ललन यादव एवं मनोज मेहता अपनी अपनी दावेदारी कर रहे है। इतना ही नहीं पटना साहिब सीट कांग्रेस की खाते में आने की जानकारी मिलते ही चुनावी टिकट लेने की दौड़ में राकेश कपूर एवं रणधीर यादव भी शामिल हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक माने तो टिकट के दावेदारों में माने तो राजकुमार राजन,ललन यादव, राकेश कपूर सबसे आगे हैं। राजकुमार राजन पूर्व में भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। और ललन यादव पुराने कांग्रेसी है और हमेशा पार्टी और समाज के कार्य में सक्रिय रहते हैं।
राकेश कपूर के बारे में आलाकमान गंभीरता से विचार कर रहा है। राकेश कपूर लगातार शहर की समस्याओं को उजागर करते रहे हैं तथा भाजपा विधायक की गलत नीतियों का मुखर विरोध करते रहे हैं। इनकी छवि भी एक जुझारू नेता की रही है और ये विवादस्पद भी नहीं हैं।
नए समीकरण और संभावनाओं के मद्देनजर महागठबंधन का आलाकमान उपयुक्त उम्मीदवार को लेकर विचार विमर्श कर रहा है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि किसे उम्मीदवार घोषित किया जाता है।
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