पूर्णिया/श्याम नंदन (न्यूज सिटी)। गर्भवती महिला एवं शिशुओं के शुरुआती एक हजार दिनों में बेहतर पोषण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। बच्चे क...
पूर्णिया/श्याम नंदन (न्यूज सिटी)। गर्भवती महिला एवं शिशुओं के शुरुआती एक हजार दिनों में बेहतर पोषण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। बच्चे के मस्तिष्क और शारीरिक विकास के लिए इसे अतिआवश्यक माना जाता है। ताकि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, फैट इन सभी पोषक तत्वों के साथ संतुलित आहार बच्चा व जच्चा को दिया जाए। कुपोषण के कारण बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक विकास में रुकावट ही नहीं बल्कि इससे संक्रमित बीमारी जैसे डायरिया, लगातार उल्टी होना, बहुत जल्दी बीमार होना, यह सब रोग प्रतिरोधक क्षमता के घटने के कारण होता है। नवजात शिशुओं में होने वाले कुपोषण को दूर करने के लिए उसका समुचित उपचार करना जरूरी होता है।
क्षेत्रीय कार्यालय प्रबंधक नजमुल होदा ने कहा कि ज़िले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका, आशा कार्यकर्ता एवं एएनएम के द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों के सभी बच्चों का टीकाकरण नियमित रूप से दिशा-निर्देश के आलोक में कराया जाता है। टीकाकरण के समय सभी कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों का वजन, लंबाई/ऊँचाई को एएनएम के द्वारा प्रमाणित किया जाता है। उम्र के साथ वजन, लंबाई के साथ वजन नहीं बढ़ने पर उन्हें अतिकुपोषित बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। ताकि वह बच्चा कुपोषण से मुक्त होकर सामान्य बच्चे की तरह रह सके.अतिकुपोषित बच्चों में चिकित्सीय समस्या होने पर उसे सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाता है।
कृत्यानगर प्रखंड के परोरा पंचायत अंतर्गत संतोष बंगाली टोला स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या-21 के अन्तर्गत आने वाले पिता महमद फैजल व माता निशा प्रवीण का लगभग दो वर्षीय पुत्र महमद आशिक बचपन से ही कुपोषण का शिकार हो गया था। इस संबंध में निशा प्रवीण का कहना है कि पारिवारिक स्थिति बेहद कमजोर होने के कारण कभी मायके तो कभी ससुराल आना जाना पड़ता था। जिसका नतीज़ा यह हुआ कि मेरा बच्चा कुपोषण का शिकार हो गया है। हालांकि स्थानीय आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या-21 की सेविका सबीना खातून एवं एएनएम सुनीता कुमारी के द्वारा संयुक्त रूप से समय-समय पर मोहमद आशिक को प्रत्येक 15 दिन पर उसका वजन एवं लंबाई/ऊँचाई लिया जाने लगा एवं विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य एवं पोषण सलाह भी दी गई।
आरपीएम नजमुल होदा ने बताया कि शुरुआती दौर में ही भ्रमण शील सहयोगी संस्थाओं के कर्मियों द्वारा अतिकुपोषित बच्चों के अभिभावकों को परामर्श दिया गया था और सलाह के तौर पर उन्हें अपने बच्चों को घरेलू सामग्रियों से बना हुआ पौष्टिक आहार देने की बात कहीं गई थी। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा बच्चे की गहन जांच कर उन्हें कम से कम 14 दिन या उससे अधिक दिनों तक पोषण सलाहकार की देखरेख में पौष्टिक आहार देकर उसे सुपोषित किया जाएगा। कुपोषित बच्चे के माता को लगभग 250 रुपये प्रतिदिन का भत्ता दिए जाने का प्रावधान है। उसके साथ ही बच्चें का खाना, रहना, बेहतर उपचार एवं किसी भी एक परिजन को भोजन देने का प्रावधान है।
कोरोना काल में उचित व्यवहारों का पालन करें। जैसे एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें, सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें, अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोए, आंख नाक और मुंह को छूने से परहेज करें। छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।
No comments