पटना (न्यूज सिटी)। दिल्ली में जारी आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा “ मीडिया म...

पटना (न्यूज सिटी)। दिल्ली में जारी आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा “ मीडिया माध्यमों के कारण यह अब कोई छिपी बात नहीं रह गयी है कि दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन पूरी तरह कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा प्रायोजित है। भारत में कांग्रेस के शीर्ष नेता जहां इस आंदोलन से अलग दिखने का दिखावा कर रहे हैं। वहीं इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की जर्मनी इकाई ने आंदोलनकारियों को एक करोड़ रुपए की मदद देने का ऐलान किया है। इससे इस आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका अब खुल कर सामने आ गयी है।” उन्होंने कहा “ इस आंदोलन का दुर्भाग्यपूर्ण पहलु यह है कि इसमें खुलेआम खालिस्तान समर्थक नारे लग रहे हैं और भिंडरावाले के पोस्टर-बैनर लहरा रहे हैं। एक झूठी बात पर उपद्रव कर रहे इन तथाकथित किसानों के ऐसे वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। जिसमें वे खुलेआम कह रहे हैं कि जब इंदिरा ठोक दी तो मोदी की छाती भी ठोक देंगे. इससे साफ़ है कि सत्ता की चाह में कांग्रेस अब इतनी नीचे गिर चुकी है कि अब उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले खालिस्तान समर्थकों का साथ लेने से भी गुरेज नहीं है। याद रहे कि यह वही खालिस्तानी और भिंडरावाला है जिसे कभी इंदिरा गाँधी ने शह देने की गलती की थी और बाद में उनके साथ-साथ पूरे देश को उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। कांग्रेस को बताना चाहिए कि वह फिर से उसी गलती को क्यों दोहराना चाहती है? वह बताए कि आखिर उनकी ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्हें इस तरह के अलगाववादियों और लोकतंत्र में विश्वास न करने वाले अराजक तत्वों का समर्थन लेना पड़ रहा है?”
डॉ जायसवाल ने कहा “ अपने युवराज की नाकामी छिपाने के लिए कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे इस आंदोलन में वही चेहरे शामिल हैं, जो दिल्ली दंगों के समय चले धरना-प्रदर्शन में सक्रिय थे। सीएए प्रदर्शनों में सक्रिय नजीर मोहम्मद जैसे लोग सिखों वाली पगड़ी बांधकर इस प्रदर्शन में शामिल हो चुके हैं। शाहीन बाग में बैठने वाली वृद्ध माहिलायें इस बार किसान बनने की नौटंकी कर इस आंदोलन में पंजाब से आई एक सिख वृद्धा बनने का स्वांग रच रही हैं। उस समय के नारों की ही तरह इस बार भी ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ जैसे नारे लग रहे हैं। जो एनजीओ उस समय खाने का प्रबंध कर रहे थे। वह इस बार भी सक्रिय हैं। वास्तव में दिल्ली दंगो के समय जो गैंग देश में आग लगाने में जुटा हुआ था, उनका इस आन्दोलन में दिखना फिर से किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है।
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